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Major Dhyan Chand Khel Ratan Award 2021,मेजर ध्यानचंद बायोग्राफी इन हिंदी, 'हॉकी के जादूगर' की पूरी कहानी,Major Dhyan Chand Biography in Hindi

 Major Dhyan Chand Khel Ratan Award 2021: मेजर ध्यानचंद बायोग्राफी इन हिंदी, 'हॉकी के जादूगर' की पूरी कहानी

Major Dhyan Chand Khel Ratan Award 2021,मेजर ध्यानचंद बायोग्राफी इन हिंदी, 'हॉकी के जादूगर' की पूरी कहानी,Major Dhyan Chand Biography in Hindi


Major Dhyan Chand Khel Ratan Award 2021


    मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) को हॉकी खेल इतिहास के सबसे महान हॉकी खिलाड़ियों में गिना जाता है। नरेंदर मोदी सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार 2021 (Rajiv Gandhi Khel Ratan Award 2021) का नामकरण मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार 2021 (Major Dhyan Chand Khel Ratan Award 2021) कर दिया। मेजर ध्यानचंद की बायोग्राफी (Major Dhyan Chand Biography in Hindi) की बात करें तो ध्यानचंद (Dhyan Chand) का जन्म 29 अगस्त 1905 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (Major Dhyan Chand Birthday) में हुआ था। 29 अगस्त को उनके जन्मदिन को भारत में हर साल राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day 2021) के रूप में मनाया जाता है। 


    मेजर ध्यानचंद का शुरूआती जीवन (Major Dhyan Chand Birthday) मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद (Major Dhyan Chand Birthday) के एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनके छोटे भाई रूप सिंह भी भारत की ओर से हॉकी खेल चुके हैं। ध्यानचंद जी के पिता का नाम रामेश्वर सिंह और मां का नाम शारदा था। ध्यानचंद के पिता ब्रिटिश भारतीय सेना में भर्ती हुए थे और उन्होंने सेना के लिए हॉकी खेली थी। ध्यानचंद के दो भाई थे- मूल सिंह और रूप सिंह। सेना में होने के कारण ध्यानचंद के पिता के  पोस्टिंग की वजह से परिवार को विभिन्न शहरों में जाना पड़ा।

    Major Dhyan Chand Army Rank


    बाद में उनका परिवार आखिरकार झांसी (उत्तर प्रदेश) में आ गया। ध्यानचंद ने 1932 में विक्टोरिया कॉलेज, ग्वालियर से ग्रेजुएशन किया। ध्यानचंद का शुरू में खेलों के प्रति कोई खास झुकाव नहीं था, हालांकि उनको कुश्ती खेलना पसंद था

    लंबे समय तक सेना से जुड़े रहे मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand Birthday) 29 अगस्त 1922 को उनके 17वें जन्मदिन पर मेजर ध्यानचंद को ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल किया गया। मेजर ध्यानचंद को अंततः भारतीय सेना टीम के लिए चुना गया जो न्यूजीलैंड दौरे के लिए थी। टीम ने इस दौरे पर शानदार प्रदर्शन करते हुए 18 मैच जीते और 2 मैच ड्रा रहे और केवल एक मैच में हार का सामना करना पड़ा। भारत लौटकर मेजर ध्यानचंद को 1927 में लांस नायक के रूप में प्रमोट किया गया था। आखिर में मेजर ध्यानचंद 1956 में मेजर के पोस्ट से रिटायर हुए। ध्यानचंद 1922 से 1956 तक सेना से जुड़े रहे।

    Major Dhyan Chand Birthday

    मेजर ध्यानचंद की कुछ यादगार उपलब्धि (Major Dhyan Chand Birthday) उनकी जीवनी 'गोल' के अनुसार मेजर ध्यानचंद ने अपने 22 वर्षों में करियर में 185 मैचों में 570 गोल किए। मेजर ध्यानचंद ने 1928 एम्स्टर्डम ओलंपिक में 14 गोल किए। इस ओलंपिक में उन्होंने सबसे ज्यादा गोल करने का रिकॉर्ड भी बनाया था। 1932 में खेले गए ओलंपिक में मेजर ध्यानचंद ने 8 गोल के साथ दूसरे सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी रहे थे। मेजर ध्यानचंद ने टीम की अगुवाई करते हुए 1928, 1932 और 1936 में लगातार तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने का रिकॉर्ड बनाया था। ध्यानचंद जब 40 वर्ष के थे, तब भी उन्होंने 22 मैचों में 68 गोल किया था।


    मेजर ध्यानचंद का करियर (Major Dhyan Chand Birthday) मेजर ध्यानचंद को 1928 के ग्रीष्म ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था। भारत ने इस ओलंपिक में हॉकी का स्वर्ण पदक जीता और ध्यानचंद ने फाइनल मैच में दो गोल किए। उन्होंने 1936 के समर ओलंपिक फाइनल में भी भारतीय हॉकी टीम का नेतृत्व किया।

    National Sports Day 2021


    1936 के समर ओलंपिक फाइनल में भारत ने जर्मनी को 8-1 से हराया था। जर्मन सरकार द्वारा उन्हें कर्नल पद की पेशकश भी की गई हालांकि ध्यानचंद ने इसे मना कर दिया। उन्होंने 42 साल की उम्र तक खेलना जारी रखा और 1948 में हॉकी से रिटायर हुए। मेजर ध्यानचंद को 1956 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 29 अगस्त को उनके जन्मदिन को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। 3 दिसंबर 1979 को उनका निधन हो गया। 

    मेजर ध्यानचंद के आखिरी साल भारतीय सेना में 34 साल की सेवा के बाद ध्यानचंद 29 अगस्त 1956 को मेजर के रूप में भारतीय सेना से रिटायर हुए। भारत सरकार ने उन्हें उसी वर्ष भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने राजस्थान के माउंट आबू में कोचिंग कैंप में पढ़ाया। बाद में उन्होंने राष्ट्रीय खेल संस्थान, पटियाला में कई वर्षों तक मुख्य हॉकी कोच की भूमिका भी निभाई। ध्यानचंद ने अपने अंतिम दिन अपने गृहनगर झांसी (उत्तर प्रदेश) में बिताए। 

    3 दिसंबर 1979 को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में ध्यानचंद की मृत्यु हो गई। मंजूरी मिलने में कुछ शुरुआती दिक्कतों के बाद उनके गृहनगर झांसी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनकी रेजिमेंट पंजाब रेजिमेंट ने उन्हें पूरे सैन्य सम्मान के साथ आखिरी विदाई थी। ध्यानचंद के सम्मान में दिल्ली में स्थित नेशनल स्टेडियम को 2002 में ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम का नाम दिया गया।

    Major Dhyan Chand Khel Ratan Award 2021

    मेजर ध्यानचंद के सम्मान में नरेंदर मोदी सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार 2021 (Rajiv Gandhi Khel Ratan Award 2021) का नामकरण मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार 2021 (Major Dhyan Chand Khel Ratan Award 2021) कर दिया इस सम्मान का नामकरण मेजर ध्यानचंद के नाम पर होना देश और खिलाडियों के लिए सम्मान की बात है

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