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हार की जीत कहानी का सारांश | haar ki jeet kahani ka saransh |
हार की जीत कहानी का सारांश | haar ki jeet kahani ka saransh
हार की जीत कहानी का सारांश : हार की जीत सुदर्शन जी द्वारा रचित एक प्रेरणादायक कहानी है कहानीकार इस कहानी के माध्यम से हमें समझाते है कि किस प्रकार से हारी हुई बाजी को भी जीता जा सकता है मनुष्य अपने अच्छे व्यवहार से किसी भी बुरे व्यक्ति का हृदय परिवर्तन कर सकता है और उसके व्यवहार में भी परिवर्तन ला सकता है यह कहानी इसी बात का प्रमाण है।
हार की जीत कहानी का सारांश
इस कहानी में बाबा भारती सुल्तान और खड्ग सिंह प्रमुख पात्र है यह कहानी तीनों पात्रों के ईद गिर्द ही घूमता है। बाबा भारती के बातों के कारण खड़क सिंह का हृदय परिवर्तन हुआ और उसने बाबा भारती को उसका घोड़ा वापस कर दिया इसलिए इस कहानी का नाम हार की जीत है क्योंकि बाबा भारती घोड़ा खो देने के कारण हार चुके थे पर जाते वक्त उसने जो बात बाबा भारती ने खड्ग सिंह के समक्ष रखी जिसके कारण खड्ग सिंह का ह्रदय परिवर्तन हो गया और उसने उसे सुल्तान वापस कर दिया। जिसके कारण बाबा भारती हार कर भी जीत गए।
हार की जीत कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए
कहानी का सारांश इस प्रकार से हैं बाबा भारती अपने घोड़े सुल्तान से बहुत प्यार करते थे सुल्तान देखने में सुंदर, बलवान तथा बहुत तेज दौड़ता था। सुल्तान जैसे घोड़ा पूरे इलाके में नहीं था। बाबा भारती अपने घोड़े सुल्तान को हाथ से खरहरते, दाना खिलाते हैं और देखकर प्रसन्न होते थे। शाम को उस पर बैठकर 8-10 चक्कर लगाते थे। खड्ग सिंह उस इलाके का बहुत बड़ा डाकू था। उसके नाम से सभी कांपते थे। जब उसने बाबा भारती के घोड़े सुल्तान के बारे में सुना तो वे सुल्तान को देखने के लिए बेचैन हो गए और वह बाबा भारती के आश्रम में सुल्तान को देखने के लिए पहुंचे।
बाबा भारती के आश्रम में आते ही खड्ग सिंह ने उसे प्रणाम किया और सामने बैठ जाता है बाबा भारती बिना डरे उसे पूछते हैं क्या हाल-चाल हैं खड्ग सिंह? तो वे कहते हैं कि सुल्तान ने मुझे आपकी और खींच लाया है मैंने बहुत सुना है सुल्तान के बारे में एक बार मैं सुल्तान का दर्शन करना चाहता हूं बाबा भारती खड्ग सिंह को सुल्तान दिखाते हैं वे उसे देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं हैं और कहते हैं कि इसके चाल देखे बिना कैसे समझे कि यह सर्वश्रेष्ठ हैं तो बाबा भारती ने उसे इसकी चाल भी दिखाएं। उसके चाल देखते ही डाकू नहीं सोचा कि क्या घोड़ा तो मेरे पास होना चाहिए और जाते-जाते खड्ग सिंह ने बाबा भारती से कहा कि यह घोड़ा मैं आपके पास नहीं रहने दूंगा। उनके इस बात से बाबा भारती घबरा गए और उन्हें रात भर नींद नहीं आई उसने अब सुल्तान की रक्षा के लिए दिन रात देखरेख करने लगे।
कुछ दिन बीत जाने पर बाबा भारती को लगा कि खड्ग सिंह अब पुरानी बातें भूल चुके हैं अब वे सामान्य रूप से रहने लगे। एक दिन जब शाम को बाबा भारती सुल्तान पर सवार होकर घूमने निकले तो उसने किसी की कहड़ने की आवाज सुनी उस व्यक्ति ने कहा बाबा इस कंगाल की बात सुनते जाना अपाहिज की बात सुनकर बाबा भारती रुक गए और कहा क्या बात है? उसने हाथ जोड़कर कहा मैं दुखीयारा रहा हूं मुझ पर दया करना। कृपा कर राम बाला तक मुझे पहुंचा दीजिए भगवान आपका भला करेगा। उस पर बाबा भारती को तरस आ जाती हैं और उस अपाहिज को घोड़े पर बैठा कर लगाम हाथ में लेकर खुद चलने लगते हैं एकाएक जोर का झटके के साथ लगाम छूट जाता है अपाहिज तन कर घोड़े पर बैठकर भागने लगता है बाबा भारती समझ जाते हैं कि वह अपाहिज दूसरा कोई नहीं बल्कि खड्ग सिंह ही है। बाबा जोर से चिल्लाते हुए कहते हैं खड्ग सिंह रुक जाओ मेरे बातों को सुनते हुए जाओ नहीं तो मेरा दिल टूट जाएगा। खड्ग सिंह ने कहा आज्ञा कीजिए मैं आपका दास हूं पर यह घोड़ा नहीं दूंगा।
बाबा ने कहा घोड़े की बात मत करो मेरे आपसे केवल इतना ही प्रार्थना है कि आप इस घटना के बारे में किसी से न कहना। यदि लोगों को इस घटना के बारे में पता चलेगा तो लोगों को किसी अपाहिज पर विश्वास नहीं रहेगा। इतना कहते ही बाबा भारती वहां से चले जाते हैं जैसे सुल्तान और उसके बीच कोई रिश्ता ही ना हो। इन बातों को सोच सोच कर खड्ग सिंह को नींद नहीं आती है जिसके बाद खड्ग सिंह रात को ही वे सुल्तान को बाबा भारती के अस्तबल में बांध कर आते हैं सुबह जब हर दिन की तरह सुबह जल्दी उठकर बाबा भारती अस्तबल की ओर जाते है पर जाते वक्त उन्हें लगता है कि सुल्तान वहां नहीं होगा और वहां से लौटने ही वाले थे कि सुल्तान की आवाज उनके कानों तक पहुंचते हैं और वे दौड़कर अस्तबल में जाते हैं और सुल्तान को पाते हैं उसे पाकर वह बिछड़े हुए बेटे को पाने की जो खुशी होती हैं ठीक उसी प्रकार से उसे पाकर वे उसे गले लगा कर रोने लगते हैं। इस प्रकार से एक हरे हुए इंसान की जीत हो जाती है।
कोई भी इंसान जन्म से ही बुरा नहीं होता है परिस्थितियां और परवारिश उसको बुरा बना देती है यदि उसे सही परवारिश और सही ज्ञान दिया जाए तो बुरा से बुरा व्यक्ति भी सुधार सकता है जैसे की बाबा भारती के बातों को सुनकर खड्ग सिंह का हृदय परिवर्तन हुआ। जिस प्रकार से बाबा भारती ने यह बात कही कि इस घटना का जिक्र किसी से ना करना वरना कोई भी गरीब और अपाहिज पर विश्वास नहीं करेगा और कोई भी उनकी मदद करने के लिए आगे नहीं आयेगा। कहने का तात्पर्य है कि मदद आप जैसे भी मांगे उसी रूप में मांगे जिस रूप में आप है क्योंकि झूठ बोलकर या ठगकर मांगा गया मदद के बारे में अगर किसी को पता चलता है तो उस व्यक्ति का विश्वास टूट जाता है और वह व्यक्ति कभी भी किसी अपाहिज या गरीब पर दया नहीं करेगा जिस प्रकार से बाबा भारती के साथ खड्ग सिंह ने किया था।
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