Header Ads Widget

स्वाधीनता दिवस पर निबंध-स्वतंत्रता दिवस पर निबंध-independence day essay in hindi-15 August Celebration in Hindi

 

स्वाधीनता दिवस पर निबंध-स्वतंत्रता दिवस पर निबंध-independence day essay in hindi-15 August Celebration in Hindi 

1. प्रस्तावना:

कहा गया है: पराधीन सपनेहुं सुख नाहीं ।अर्थात् पराधीनता सपने में भी किसी को अच्छी नहीं लगती है । स्वतन्त्रता व्यक्ति का अधिकार है, उसकी प्रवृति है । महान् दार्शनिक रूसो ने भी कहा है कि मनुष्य जन्म से ही स्वतन्त्र पैदा होता है । वह अपने ही बनाये हुए बन्धन में बंधता चला जाता है ।

यह भी कहा गया है कि स्वतन्त्रता की सूखी रोटी घी की चुपड़ी रोटी से कहीं अच्छी लगती है । स्वतन्त्रता का अर्थ एवं महत्त्व सोने के पिंजरे में बन्द पक्षी से अधिक बेहतर कौन जान सकता है । खुले आसमान में स्वछन्द उड़ान भरने वाले पंछी और पिंजरबद्ध पक्षी के जीवन का अन्तर एक स्वतन्त्र एवं गुलाम देश के लोगों की जीवनशैली से किया जा सकता है ।

जहां तक देश की बात है, कोई भी राष्ट्र बहुत अधिक दिनों तक पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ा नहीं रह सकता है । इसी तरह हमारे देश भारत को ब्रिटिश उपनिवेशवादी शक्तियों से लगभग 200 वर्षो की लम्बी गुलामी से आजादी मिली थी 15 अगस्त सन को । इसी गौरवशाली, पावन दिवस को हम राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मनाते हैं ।

2. स्वतन्त्रता दिवस का महत्त्व:

हमारे राष्ट्रीय त्योहारों में स्वाधीनता दिवस अगस्त का विशेष महत्त्व है । इसका महत्त्व सभी त्योहारों से सर्वाधिक है । इसी दिन हमने बरसों की गुलामी से मुक्ति पायी थी । अंग्रेज सरकार की गुलामी एवं अत्याचार से संत्रस्त जनता ने 15 अगस्त को स्वतन्त्रता की खुली हवा में सांस ली थी ।

हमें आजादी ऐसे ही नहीं मिली थी । यह आजादी हमें मिली थी अनेक अमर शहीदों, क्रान्तिकारियों, नेताओं तथा कुछ अनाम शहीदों के त्याग एवं समर्पण से । देश की आजादी में बाल-बच्चे, बूढ़े प्रत्येक स्त्री-पुरुष का भी योगदान था । यह आजादी हमें समस्त भारतवासियों के प्रयत्नों से मिली थी ।

यह आजादी हमें 1857 के क्रान्तिकारियों-नानासाहब, मंगलपाण्डे, तांत्याटोपे, बहादुरशाह जफर, रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, दादा भाई नौरोजी फिरोजशाह मेहता, वीर सावरकर, भाई राणा, लाला हरदयाल, जाकिर हुसैन, लाल लाजपतराय, सुभाषचन्द्र बोस, राजेन्द्र प्रसाद, महात्मा गांधी, तिलक, नेहरू, भगतसिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, सुखदेव, राजगुरु, चन्द्रशेखर आजाद, चाफेकर बखु आदि ने दिलाई थी।

15 अगस्त, 1947 को लालकिले की प्राचीर से बोलते हुए देश के प्रथम प्रधानमन्त्री ने देशवासियों को सम्बोधित करते हुए आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक गुलामी से पूर्ण रूप से मुक्त होने का गर्व भरा सन्देश सुनाया था।

15 अगस्त, अर्थात् स्वाधीनता दिवस हमें आजादी के गौरव को याद दिलाने के साथ-साथ यह भी स्मरण दिलाता है कि आजादी की लड़ाई में हिन्दू मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी सभी ने सक्रियता से भाग लिया था ।

यह हमारी एकता का ही प्रतिफल है कि हम अंग्रेजों की कैद से आजाद हुए । हमारी गुलामी की बेड़िया कटीं । इस आजादी की लड़ाई में नरम दल, गरम दल के देशभक्त क्रान्तिकारियों ने सक्रिय रूप से अपना योगदान दिया ।

आजादी की यह लड़ाई हम भारतीयों के लिए ही महत्त्व नहीं रखती है, यह लड़ाई तो दक्षिण अफ्रीका तथा मध्य एशिया एवं द॰पूर्व॰ एशिया के लोगों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत के रूप में महत्त्व रखती है । अमर बलिदानी शहीदों की गाथाएं आज भी हमारे लिए प्रेरणा एवं आदर्श का एक ऐसा उदाहरण हैं, जो हमें याद दिलाता है कि व्यक्ति से बढ्‌कर देश होता है ।

अपने देश के लिए अपने स्वार्थो का बलिदान कर देना ही सच्ची राष्ट्रीयता कहलाता है । यही सच्ची राष्ट्रभक्ति है । भारत की सार्वभौमिक एकता, उसके राष्ट्रीय गौरव की दृष्टि से स्वतन्त्रता दिवस का महत्त्व हमारे लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है ।

3. मनाने की रीति:

15 अगस्त, 1947 का गौरवशाली दिवस प्रतिवर्ष सम्पूर्ण देश में अत्यन्त धूमधाम एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है । प्रातःकाल सूर्योदय के साथ ही घर-घर में, सरकारी कार्यालयों में, स्कूलों, कॉलेजों अन्य विभागों में देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झण्डा लहराने लगता है ।

स्कूल तथा कॉलेजों में स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर अनेक राष्ट्रीय भावों से युक्त कार्यक्रम होते हैं । प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं । शहीदों की जय-जयकार करते हुए बच्चे गांव-गांव तथा शहरों की गलियों से निकल पड़ते हैं । भाषण, गीत, नृत्य के रंगारंग कार्यक्रम होते हैं ।

शहीदों का पुण्य स्मरण किया जाता है । भारत की राजधानी दिल्ली में 15 अगस्त को ऐतिहासिक स्थल लालकिले की प्राचीर पर तिरंगा फहराया जाता है । देश के प्रधानमन्त्री भाषण देते हैं । भारत की राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय ध्वज को 21 तोपों की सलामी दी जाती है।

प्रधानमन्त्री राष्ट्र की प्रगति के लिए योजनाओं की घोषणा करते हैं । उनका भाषण  ”जय हिन्दके उद्‌घोष के साथ समाप्त होता है । रात्रि में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन को रोशनी से सजाया जाता है । दुकानों एवं राजमार्गो को भी सजाया जाता है ।

पूरा देश राष्ट्रभक्ति एवं राष्ट्रगान के स्वर से गूंज उठता है । पूरे राष्ट्र में मिष्ठान्न वितरण होता है । स्वतन्त्रता दिवस अमर रहे के नारों से स्वतन्त्रता के अमर रहने की कामना की जाती है । दूरदर्शन एवं आकाशवाणी से कार्यक्रमों का प्रसारण होता है ।

4. उपसंहार:

इस प्रकार स्पष्ट है कि भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में देश के समस्त वर्गो, जातियों, धर्मो के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था, वहीं कई क्रान्तिकारियों एवं नेताओं ने भी अपना योगदान दिया था । इन सभी के प्रयत्नों से हमें यह आजादी मिली है ।

स्वतन्त्रता के बाद हमारे देश ने सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की है। आज हमारा देश विश्व के सबल राष्ट्रों में गिना जाता है । सूचना, संचार एवं तकनीकी के क्षेत्र में भारतवासियों ने पूरे विश्व में अपनी धाक जमायी है । वहीं साहित्य, संगीत तथा कला के क्षेत्र में वह काफी आगे बढ़ा है ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

close