पत्रकारीय लेखन के विभिन्न रूप और लेखन प्रक्रिया/समाचर लेखन/समाचार के छ: ककार/संपादक के नाम पत्र/Letter to editor/Patrkariya lekhan ke vibhinn roop/news writing/ |
पत्रकारीय लेखन के विभिन्न रूप और लेखन प्रक्रिया
पत्रकारीय लेखन -
समाचार माध्यमों मे काम करने वाले पत्रकार अपने पाठकों तथा श्रोताओं तक
सूचनाएँ पहुँचाने के लिए लेखन के विभिन्न रूपों
का इस्तेमाल करते हैं, इसे ही पत्रकारीय लेखन कहते हैं।
पत्रकरिता या पत्रकारीय लेखन के अन्तर्गत सम्पादकीय, समाचार, आलेख, रिपोर्ट, फ़ीचर, स्तम्भ तथा कार्टून आदि आते हैं।
पत्रकारीय लेखन का प्रमुख उद्देश्य -
सूचना देना,शिक्षित करना तथा मनोरंजन आदि करना। इसके कई प्रकार हैं यथा- खोज परक
पत्रकारिता’, वॉचडॉग
पत्रकारिता और एड्वोकैसी पत्रकारिता आदि। पत्रकारीय लेखन का संबंध समसामयिक विषयों, विचारों व घटनाओं से है।
पत्रकार को लिखते समय यह ध्यान रखना चाहिए वह सामान्य जनता के लिए लिख रहा है, इसलिए उसकी भाषा सरल व रोचक होनी
चाहिए। वाक्य छोटे व सहज हों। कठिन भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। भाषा को प्रभावी
बनाने के लिए
अनावश्यक
विशेषणों, अप्रचलित शब्दावली और दोहराव का प्रयोग नहीं होना चहिए।
पत्रकार कितने प्रकार के होते हैं --
- पत्रकार तीन प्रकार के होते
हैं ।
1. पूर्ण कालिक पत्रकार :
किसी
समाचार पत्र या संगठन के नियमित वेतनभोगी कर्मचारी।
2. अंशकालिक पत्रकार (स्ट्रिंगर):
निश्चित
मानदेय पर कार्य करने वाले पत्रकार ।
3. फ़्रीलांसर या स्वतंत्र
पत्रकार :
ये
किसी संस्था से जुड़े नहीं होते । जब ये लिखते है तो इनका लेख कोई भी छाप सकता है
और बदले में एक निश्चित राशि इन्हें भेज दी जाती है ।
समाचर लेखन--
समाचार उलटा पिरामिड शैली में लिखे जाते हैं, यह समाचार लेखन की सबसे उपयोगी और लोकप्रिय शैली
है। इस शैली का विकास अमेरिका में गृह यद्ध के दौरान हुआ। इसमें महत्त्वपूर्ण घटना का वर्णन पहले प्रस्तुत
किया जाता है, उसके बाद
महत्त्व की दृष्टि से घटते क्रम में घटनाओं को प्रस्तुत कर समाचार का अंत किया
जाता है। समाचार में इंट्रो, बॉडी और
समापन के क्रम में घटनाएँ प्रस्तुत
की जाती हैं ।
समाचार के छ: ककार-
समाचार
लिखते समय मुख्य रूप से छ: प्रश्नों- क्या, कौन, कहाँ, कब , क्यों और कैसे का उत्तर देने की कोशिश की
जाती है। इन्हें समाचार के छ: ककार कहा जाता है। प्रथम चार प्रश्नों के
उत्तर इंट्रो में तथा अन्य दो के उत्तर समापन से पूर्व बॉडी वाले भाग में दिए जाते
हैं ।
फ़ीचर
लेखन का उद्देश्य: फ़ीचर का उद्देश्य मुख्य रूप से पाठकों को सूचना
देना, शिक्षित
करना तथा उनका मनोरंजन करना होता है।
फ़ीचर और समाचार में अंतर:
समाचार में रिपोर्टर को
अपने विचरों को डालने की स्वतंत्रता नहीं होती, जबकि फ़ीचर में लेखक को अपनी राय , दृष्टिकोण और भवनाओं को
जाहिर करने का अवसर होता है ।
समाचार उल्टा पिरामिड शैली में में लिखे जाते हैं, जबकि फ़ीचर लेखन की कोई सुनिश्चित शैली नहीं होती ।
फ़ीचर में समाचारों की तरह शब्दों की सीमा नहीं होती। आमतौर पर फ़ीचर, समाचार रिपोर्ट से बडे़
होते हैं। पत्र-पत्रिकाओं में प्राय: 250 से 2000 शब्दों तक के फ़ीचर छपते हैं।
विशेष रिपोर्ट:
सामान्य समाचारों से अलग वे विशेष समाचार जो गहरी
छान-बीन, विश्लेषण
और व्याख्या के आधार पर प्रकाशित किये जाते हैं, विशेष रिपोर्ट कहलाते हैं ।
विशेष रिपोर्ट के प्रकार:
(1) खोजी रिपोर्ट : इसमें अनुपल्ब्ध तथ्यों
को गहरी छान-बीन कर
सार्वजनिक किया जाता है।
(2) इन्डेप्थ रिपोर्ट: सार्वजानिक रूप से प्राप्त
तथ्यों की गहरी छान-बीन कर उसके महत्त्वपूर्ण पक्षों को पाठकों के सामने लाया जाता
है ।
(3) विश्लेषणात्मक रिपोर्ट : इसमें किसी घटना या
समस्या का विवरण सूक्ष्मता के साथ विस्तार से दिया जाता है । रिपोर्ट अधिक विस्तृत
होने पर कई दिनों तक किस्तों में प्रकाशित की जाती है ।
(4) विवरणात्मक रिपोर्ट : इसमें किसी घटना या
समस्या को विस्तार
एवं बारीकी के साथ प्रस्तुत किया जाता है।
विचारपरक लेखन :
समाचार-पत्रों में समाचार
एवं फ़ीचर के अतिरिक्त संपादकीय, लेख, पत्र, टिप्पणी, वरिष्ठ पत्रकारों व
विशेषज्ञों के स्तम्भ छपते हैं । ये सभी विचारपरक लेखन के अन्तर्गत आते हैं ।
संपादकीय :
संपादक द्वारा किसी प्रमुख
घटना या समस्या पर लिखे गए विचारत्मक लेख को, जिसे संबंधित समाचारपत्र की राय भी कहा जाता है,संपादकीय कहते हैं । संपादकीय किसी एक व्यक्ति
का विचार या राय न होकर समग्र पत्र-समूह की राय होता है, इसलिए संपादकीय में संपादक
अथवा लेखक का नाम नहीं लिखा जाता।
स्तम्भ लेखन:
एक प्रकार का विचारत्मक
लेखन है । कुछ महत्त्वपूर्ण लेखक अपने खास वैचारिक रुझान एवं लेखन शैली के लिए जाने जाते हैं । ऐसे
लेखकों की लोकप्रियता को देखकर समाचरपत्र उन्हें अपने पत्र में नियमित स्तम्भ -
लेखन की जिम्मेदारी प्रदान करते हैं । इस प्रकार किसी समाचार-पत्र में किसी ऐसे लेखक द्वारा
किया गया विशिष्ट एवम नियमित लेखन जो अपनी विशिष्ट शैली एवम वैचारिक रुझान के कारण
समाज में ख्याति प्राप्त हो, स्तम्भ
लेखन कहा जाता है ।
संपादक के नाम पत्र :
समाचार
पत्रों में संपादकीय
पृष्ठ पर तथा पत्रिकाओं की शुरुआत में संपादक के नाम आए पत्र प्रकाशित किए जाते
हैं । यह प्रत्येक समाचारपत्र का नियमित स्तम्भ होता है । इसके माध्यम से
समाचार-पत्र अपने पाठकों को जनसमस्याओं तथा मुद्दों पर अपने विचार एवम राय व्यक्त करने का अवसर
प्रदान करता है ।
साक्षात्कार/इंटरव्यू:
किसी पत्रकार के द्वारा
अपने समाचारपत्र में प्रकाशित करने के लिए, किसी व्यक्ति विशेष से उसके विषय में अथवा किसी
विषय या मुद्दे पर किया गया प्रश्नोत्तरात्मक संवाद साक्षात्कार कहलाता है ।
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6 टिप्पणियाँ
Very nice of chepter
जवाब देंहटाएंIt's very nice chapter**
हटाएंis it enough for term 2
जवाब देंहटाएंI think so it will be enough
हटाएंIt's not enough 😔😔
जवाब देंहटाएंAfter the exam please tell me how was your exam.....
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