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कैसे बनती है कविता /कविता कैसे लिखें कक्षा 12 /Kaise likhen kavita /Kaise banti hai kavita class 12




कैसे बनती है कविता /कविता कैसे लिखें/Kaise likhen kavita /Kaise banti hai kavita class 12 

आज की ज़िदगी में कविता की जरूरत है। पहले से कहीं ज़्यादा है। लेकिन ज़िंदगी से कविता सुकून की तरह ग़ायब हो गई है। लोग कविताओं की तलाश कर रहे हैं। कविता लिखने का फार्मूला खोज रहे हैं। इसे कविताओं के प्रति इज़ाहार-ए-मोहब्बत कहा जा सकता है।

कभी-कभी ऐसा लगता है कि कविता के फार्मूले की खोज लिखने के बियाबान में खो जाती है। लिखने का काम श्रमसाध्य है। मेहनत माँगता है। धैर्य माँगता है। छोटी-छोटी बातों को भावनाओं की नज़र से देखने की दरकार होती है। टूटी-फूटी भाषा में भी मन की बात रखने की जरूरत होती है। ज़िंदगी में यथार्थ के बंधनों की कल्पना की ऊंची उड़ान से पार करने की जरूरत होती है। लेकिन इसके लिए कुछ करना नहीं होता…लोग तो कहते हैं कि दर्द जब हद से गुजर जाता है, दवा बन जाता है।

जीवन में जब सवालों का तूफ़ान उठने लगता है। मोहब्बत की भावनाएं उफान मारने लगती है। अंदर कुछ कहने की लालसा होती है तो शब्दों के अभाव को पूरा करने के लिए कविता का अवतरण होती है। कविताएं चुपचाप चली आती हैं। भाषा और व्याकरण की दीवारों को तोड़ते हुए। कविताएं जीवन को अपनी मौजूदगी से तरंगित कर जाती हैं। जीवन के समंदर में कविताओं के गिरने से उठने वाली लहरें जीवन को संवेदनाओं के बड़े सूक्ष्म स्तर पर प्रभावित करती है। कविताएं ज़िंदगी का नज़र-ए-आईना बन जाती हैं। लेकिन कविताएं लिखने की शुरूआत भले तुकंबदी के फार्मूले से होती हो। लेकिन धीरे-धीरे छोटी-छोटी बातों को लयात्मक अंदाज़ में गुनने-बुनने और साझा करने से भी कविताओं के बनने का सिलसिला शुरू होता है।

कविताओं की शुूरुआत के साथ-साथ इनके रूठने का दौर भी जीवन में आता है। ऐसे में कविताएं जीवन से रूठ जाती हैं और न जाने किस लोक में चली जाती हैं…हमें वास्तविकता की दुनिया में अकेला छोड़कर। फार्मूला वन के रेस सरीखी ज़िंदगी की दौड़ में शामिल होने के बाद धीरे-धीरे कविताएं…।।मानो लुप्त होने लगती है। यह कविताएं जीवन की खिड़की की तरह होती हैं।

, जो जीवन में नए विचारों की आवाजाही की प्रक्रिया को निरंतरता देती है। जीवन में संवेदनशीलता को स्थान देती हैं। भावनाओं को तर्क से बेपरवाह होकर जीने का हौसला देती हैं। लेकिन कविताओं की दुनिया भाषाओं के व्याकरण का अतिक्रमण करते हुए अभिव्यक्ति के तमाम रास्तों को खोलती हैं। कविताओं से आगे गद्य लेखन की दिशा में सारी प्रक्रिया आगे बढ़ती है। वर्तमान में कविताओं में लय का अभाव है। आज की कविताओं से लय ग़ायब है। संगीत गायब है। प्रवाह ग़ायब है। यह जिनके पास बचा है। वह उनके जीवन और सोच में मौजूद संगीत और कल्पना की वज़ह से ज़िंदा है।

अगर सच कहा जाए तो लिखने का फार्मूला खोजना…गुलजार बनने का टॉनिक तलाशने जैसा ही है। अगर लिखने का शौक है तो लिखते चलिए …अपनी भावनाओं को शब्द देते चलिए। हो सकता है कविताओं की नज़र-ए-इनायत आप पर भी हो जाए। इस सफ़र पर चलने वालों के सीखने का सिलसिला जारी रहता है। इसी सीखने के सिलसिले में पढ़ना भी शामिल है और लोगों से संवाद भी जो लेखन के इस सफ़र को कविताओं तक ले जाता है तो कभी कविताओं से आगे भी।।।

कविता कैसे लिखें - कविताओं के प्रकार - kavita kaise likhe

कविता दो प्रकार से लिखी जाती है पहली छंदमुक्त और दूसरी छंदयुक्त कविताएं।

छंदमुक्त कविताएं- छंदमुक्त कविताएं कविता लेखन की शुरुआत करने पर लिखी जाती है। जब कोई रचनाकार कविता लिखने की शुरुआत करता है, तो वो सबसे पहले छंदमुक्त रचनाएं ही लिखता है एवं उन्हें महत्व देता है। इसका कारण ये है कि छंदमुक्त रचनाएं भाव प्रधान होती हैं और उनमें भावनाओं को महत्व दिया जाता है। ऐसी रचनाओं में नियमों की पाबंदी नहीं हुआ करती।


छंदयुक्त कविताएं- छंद का अर्थ ही नियम होता है यानि नियमों का ध्यान रखते हुए जब कोई कविता लिखी जाती है, तो उसे छंदयुक्त रचना कहते हैं। छंदयुक्त कविताओं में दोहा, रोला, कुण्डलिया आदि रचनाएं हो सकती है। जब कोई रचनाकार छंदमुक्त कविताएं अच्छी लिखने लगता है, तो वो छंद का ज्ञान लेकर छंदयुक्त रचनाएं लिखने की शुरुआत करता है।

ये दोनों ही तरह की कविताएं दो तरह से लिखी जा सकती है - types of poem

तुकांत कविता- तुकांत कविताएं वे कविताएं होती है, जिसमें तुकांत होते हैं। हर पंक्ति के अंत में ऐसे शब्द लिखें जाते हैं, जिनसे कविता की लय बाधित नहीं होती और पाठक उसे पढ़ने में आनंद का अहसास करता है। तुकांत कविता छंदमुक्त भी हो सकती है और छंदयुक्त भी।

अतुकांत कविता- अतुकांत कविता नाम से ही इसका पता चलता है कि ऐसी कविताएं जिनमें तुकांत नहीं होते, अतुकांत कविता कहलाती है। तुकांत कविताओं में तुकांत हर पंक्ति के अंत में लिखें जाते हैं। लेकिन अतुकांत कविताओं में तुकांत नहीं हुआ करते। इन कविताओं में भाव की प्रधानता होती है। अतुकांत कविता छंदयुक्त नहीं हो सकती बल्कि छंदमुक्त हो सकती




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