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स्वर, व्यंजन और अयोगवाह, (vowel and consonent)

स्वर

भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण है। और जिन वर्णों को बोलने के लिए किन्ही अन्य वर्ण की आवयश्कता नही होती है। उन्हें स्वर कहते है ।

स्वर के प्रकार –

स्वर के तीन प्रकार होते है।
(1) हृस्व स्वर
(2) दीर्घ स्वर
(3) प्लुत स्वर

हृस्व स्वर- जिन वर्णों को बोलने में एक मात्रा का समय लगता है। उन्हें हृस्व स्वर कहते है। इनकी संख्या पाँच है।इन्हें मूल स्वर भी कहा जाता है। जो निम्न है।
जैसे- अ, ,
तथा ऋ 

दीर्घ स्वरजिन वर्णों के उच्चारण में दो मात्रा का समय लगता है। उन्हें दीर्घ स्वर कहते है।इनकी संख्या आठ है। जो निम्न है।
जैसे- आ, , , , , , , और औ

प्लुत स्वरजिन वर्णों के उच्चारण में दीर्घ स्वर से भी अधिक समय लगता है। उन्हें प्लुत स्वर कहते है।
जैसे- ओ ३, राम ३ आदि

व्यंजन –

जिन वर्णो को बोलने के लिए स्वरों की साहयता लेनी पड़ती है। उन्हें व्यजन कहते है।

व्यञ्जन के प्रकार

व्यंजन के चार प्रकार होते है।

स्पर्श व्यंजन- जिन वर्णों के उच्चारण के समय जिव्हा मुख के विभिन्न स्थानों को स्पर्श करती है।उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते है। इनकी संख्या 25 होती है।
कवर्ग- क् ख् ग् घ् ङ्
चवर्ग- च् छ् ज् झ् ञ्
टवर्ग- ट् ठ् ड् ढ् ण्
तवर्ग- त् थ् द् ध् न्
पवर्ग- प् फ् ब् भ् म्
अंतस्थ व्यंजन- इनकी संख्या चार होती है। जो निम्न है।
जैसे- य् र् ल् व्

उष्ण व्यंजन- इनकी भी संख्या चार होती है। जो निम्न है।
जैसे- श् ष् स् ह्

संयुक्त व्यंजन- दो व्यंजनों के संयोग से बने वर्णों को व्यंजन कहते है।
जैसे- क्ष=क्+ष
ज्ञ=ज्+ञ
त्र=त्+र


आयोगवाह किसे कहते है ?

जो व्यंजन ना तो स्वर होते है और न ही व्यंजन उसे ही अयोगवाह कहते है। अर्थात अनुस्वार और अनुनासिक को अयोगवाह कहते है।इनकी संख्या दो है।
उदाहरण- अं ,अः
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