मुंशी प्रेमचंद जी की जीवनी /मुंशी प्रेमचंद जीवन परिचय (Munshi Premchand Jeevan Parichay)
धनपत राय श्रीवास्तव या मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई सन् 1880 को उत्तर प्रदेश में वाराणसी के निकट
लमही नामक गाँव में हुआ था। मुंशी प्रेमचंद को हिंदी और उर्दू साहित्य के आधुनिक
क्षेत्र के महान लेखकों में से एक माना जाता है। मृत्यु से पहले एक भयंकर बीमारी
से ग्रस्त होने के कारण मुंशी प्रेमचंद जी को अपने जीवन के अंतिम दिनों में काफी
तकलीफों का सामना करना पड़ा था। सन 1910 में जमीरपुर के जिला
मजिस्ट्रेट ने उनकी लघु कथाओं के संग्रह सोज-ए-वतन (राष्ट्र का विलाप) की रचना के लिए उन्हें दंडित किया था, इस रचना को राजद्रोहपूर्ण संग्रह कहा जाता था। इसके बाद, उन्होंने उपनाम के रूप “प्रेमचंद” लिखना शुरू कर दिया।
प्रेमचंद ने नवाबराय शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में भी लेखन
कार्य किया था। हिंदी साहित्य की दुनिया में यथार्थवाद को पेश करने का श्रेय, उनको ही दिया जाता है। सन्
1921 में उन्होंने महात्मा गांधी के आह्रान पर अपनी सरकारी
नौकरी से इस्तीफा दे दिया। एक संक्षिप्त अवधि के लिए, उन्होंने
मुंबई फिल्म उद्योग में एक पटकथा लेखक के रूप में कार्य किया। व्यक्तिगत रूप से
उन्होंने दो बार शादी की। वह आम लोगों की भाषा में लिखते थे और सांप्रदायिकता,
भ्रष्टाचार, गरीबी और उपनिवेशवाद जैसे मुद्दों
का हिंदी और उर्दू साहित्य में प्रवेश का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है।
वह कृपणता (गरीबी) का जीवन जीते थे। मुंशी प्रेमचंद्र द्वारा
लिखे गये उपन्यासों को बाद में कई फिल्मों और टेलीविजन धारावाहिकों में प्रसारित
किया गया। प्रसिद्ध सत्यजीत रे ने प्रेमचंद की लिखी हुई कृतियाँ जैसे ‘सद्गती’ और
‘शतरंज के खिलाडी’ पर आधारित दो फिल्में बनाई थी। प्रेमचंद ने कुछ नाटक भी लिखे
थे। उनके कार्यों का अनुवाद कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में किया गया है। 8 अक्टूबर 1936 को मुंशी प्रेमचंद्र का निधन हो गया।
प्रारंभिक जीवन
प्रेमचंद का जन्म अजायबराय और आनन्दी देवी के
यहाँ हुआ था। वह अपने माता-पिता की चौथी सन्तान थे। उनका नाम धनपत राय था, जबकि उनके चाचा ने उन्हें नवाब नाम दिया, जिसको
उन्होंने अपना पहला उपनाम दिया था।
प्रेमचंद ने उर्दू और फारसी में अपनी प्रारंभिक
शिक्षा लालपुर के मदरसा से प्राप्त की थी। इसके बाद में, उन्होंने एक मिशनरी स्कूल से अंग्रेजी की शिक्षा भी प्राप्त की।
प्रेमचंद जब बहुत छोटे थे, तभी उनकी माँ की मृत्यु हो गई थी। उनके पिता ने शीघ्र ही पुनर्विवाह कर
लिया था, लेकिन प्रेमचंद के संबंध अपनी दूसरी मां के साथ
अच्छे नहीं थे। कुछ वर्षों के बाद, उनके पिता का भी निधन हो
गया, जिस कारण उनको अपनी पढ़ाई को रोकना पड़ा।
प्रेमचन्द्र ने विमाता और सौतेले भाई की सहायता
करने के लिए, छात्रों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया। बाद में, उनको बहराइच के एक सरकारी स्कूल में सहायक शिक्षक के पद का प्रस्ताव मिला
था। कहा जाता कि उन्होंने उपन्यास लिखना भी लगभग उसी समय से शुरू किया था। उनका
पहला उपनाम “नवाब राय” नाम था हालांकि बाद में उन्होंने ‘सोज़-ए-वतन’ को प्रकाशित
करने के लिए अपना उपनाम प्रेमचंद रख लिया था, जो एक लघु
कहानी संग्रह था, जिस पर ब्रिटिश के अधिकारियों ने प्रतिबंध
लगा दिया था।
सन 1910 के मध्य तक
प्रेमचंद उर्दू के एक प्रसिद्ध लेखक बन चुके थे और सन 1914 तक
वह हिंदी के भी लेखक बन गए थे। सन् 1916 में उन्होंने
गोरखपुर के सामान्य हाईस्कूल में सहायक अध्यापक की नौकरी की। 1919 में प्रकाशित ‘सेवा सदन‘ उनका पहला प्रमुख हिंदी उपन्यास है।
प्रेमचंद ने असहयोग आंदोलन के दौरान, स्कूल के सहायक अध्यापक पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने बनारस जाकर
अपने साहित्यिक करियर पर काम करना शुरू कर दिया। सन् 1923 में
उन्होंने एक प्रकाशन हाउस ‘सरस्वती प्रेस‘ की स्थापना की। सन् 1930 में उन्होंने एक राजनीतिक
साप्ताहिक पत्रिका ‘हंस‘ का संपादन किया था। सन् 1931 में, उन्होंने कानपुर के मारवाड़ी कॉलेज में अध्यापक की नौकरी की तथा उसी वर्ष
उन्होंने ये नौकरी भी छोड़ दी और वापस बनारस चले गये और वहाँ जाकर उन्होंने ‘मर्यादा‘ पत्रिका के एक संपादक के रूप में
काशी के विद्यापीठ के प्रधानाध्यापक के रूप में कार्य किया। सन् 1931 में, वह मुंबई चले गये और वहाँ पर उन्होंने एक
प्रोडक्शन हाउस, अजंता सिनेटोन के लिए पटकथा लेखक के रूप में कार्य किया। फिल्म मजबूर की कहानी उनके द्वारा लिखी गई थी।
उनकी अंतिम कृतिय
ाँ कफन और गोदान हैं।
उपन्यास
· देवस्थान
रहस्य (उर्दू शीर्षक असरार-ए-म’अबदी)
· प्रेमा (उर्दू
शीर्षक हमखुरमा-ओ-हम सवाब)
· कृष्ण
· रुठी रानी
· सोज़-ए-वतन
(उर्दू)
· वरदान (उर्दू
का शीर्षक जलवा-ए-इसर)
· सेवा सदन
(उर्दू शीर्षक बाजार-ए-हुस्न)
· प्रेमाश्राम
(उर्दू शीर्षक गोशा-ए-अफियात)
· रंगभूमि
(उर्दू शीर्षक चौगन-ए-हस्ती)
· निर्मला
(उर्दू शीर्षक निर्मला)
· कायाकल्प
(उर्दू शीर्षक परदा-ए-मिजाज)
· प्रतिज्ञा
(उर्दू का शीर्षक बेवा)
· गबन (उर्दू
शीर्षक गबन)
· कर्मभूमि
(उर्दू शीर्षक: मैदान-ए-अमल)
· गोदान
· मंगलसूत्र
(अपूर्ण)
छोटी कहानियाँ
· अदीब की इजात
· दुनिया का
सबूत अनमोल रतन
· बड़े भाई साहब
· बेटी का धन
· सौत
· सज्जनता का
दंड
· पंच परमेश्वर
· ईश्वरीय न्याय
· परीक्षा
· गैसावली
· नशा
· लॉटरी, कुछ अन्य
उनके कुछ अन्य कार्यों में शामिल हैं।
फिल्म पटकथा (कथानक)
· मजदूर (1934)
नाटक
· करबला
· प्रेम की वेदी
· संग्राम
· रूहानी शायरी
· तजुर्बा
आत्मकथाएँ
· दुर्गादास
· महात्मा
शेखसादी (सादी की जीवनी)
· निबंध
· कलम त्याग और
तलवार
· कुछ विचार (दो
भाग में)
बच्चों की किताबें
· जंगल की
कहानियाँ
· मनमोदक
· कुत्ते की
कहानी
· राम चर्चा
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