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Balgobin Bhakt,Ramvriksh Benipuri,Balgobin Bhakt Class 10 NCERT Solutions |
लेखक का नाम - रामवृक्ष बेनीपुरी
पाठ का नाम - बालगोबिन भगत
बालगोबिन भगत पाठ का सार : बालगोविंद
भगत रेखा चित्र के माध्यम से रामवृक्ष बेनीपुरी ने एक ऐसे विलक्षण चरित्र का
उद्घाटन किया है जो मनुष्यता, लोक संस्कृति और सामूहिक
चेतना का प्रतीक है। सन्यास का आधार जीवन के मानवीय सरोकार होते हैं । बालगोबिन
भगत इसी आधार पर लेखक को सन्यासी कहते हैं। इस पाठ के माध्यम से सामाजिक रूढ़ियों
पर भी प्रहार किया गया है। साथ ही हमें ग्रामीण जीवन की झांकी भी दिखाई गई है। बालगोविंद
भक्त एक कबीरपंथी गृहस्थ संत थे। उनकी उम्र 60 से ऊपर ही होगी। उनके बाल पके हुए थे। कपड़ों के नाम पर सिर्फ एक
लंगोटी, सर्दी के मौसम में एक काली कमली, रामनामी चंदन और गले में तुलसी की माला पहनते थे। उनके घर में एक बेटा और
बहू थे। वह खेतिहर थे। झूठ, छल, प्रपंच से दूर रहते थे। वे दो टूक बातें करते थे। कबीर को अपना आदर्श
मानते थे। उन्हीं के गीतों को गाते थे। अनाज पैदा कर कबीरपंथी मठ में ले जाकर दे
देते तथा वहां से जो कुछ मिलता उसे अपना गुजर-बसर करते थे। उनका गायन सुनने के लिए
गाँव वाले एकत्र हो जाते थे।
धान की रोपनी के समय उनके गीत सुनकर बच्चे झूमने लगते, मेढ पर खड़ी औरतों के होंठ कांप उठते थे, रोपनी
करने वालों की उंगलियां एक अजीब से क्रम में चलने लगती थी। कार्तिक, भादो, सर्दी-गर्मी हर मौसम में बालगोविंद भक्त
सभी को अपने गायन से शीतल करते थे। बालगोविंद भक्त संत आदमी थे। उनकी भक्ति साधना
का चरम उत्कर्ष उस दिन देखने को मिला जिस दिन उनका एकमात्र पुत्र की मृत्यु हो गई।
वह रूदन के बदले उत्सव मनाने को कहते थे। उनका मानना था कि आत्मा का परमात्मा में
मिलन हो गया है। आत्मा अपने प्रेमी से जा मिली है। वे एक समाज सुधारक के रूप
में सामने आते हैं। जब वे अपनी पतोहू द्वारा अपने बेटे को मुखाग्नि दिलाते हैं।
श्राद्ध कर्म के बाद बहू के भाई को बुलाकर उसके दूसरी शादी करने को कहते हैं। बहू
के बहुत सारी मिन्नतें करने पर भी वे अटल रहते हैं। इस प्रकार वे विधवा-विवाह के
समर्थक हैं। बाल गोविंद की मौत उन्हीं के व्यक्तित्व के अनुरूप शांत रूप में हुई।
वे नित्य गंगा स्नान करने जाते थे, बुखार व लंबे उपवास
करके मस्त रहते। अंत समय बीमार पडकर वे परम गति को प्राप्त हुए। भोर में उनका गीत
न सुनाई पड़ा तो लोगों ने जाकर देखा तो बालगोविंद भक्त स्वर्ग सिधार
गए हैं।
अभ्यास के प्रश्न :
प्रश्न-1 : खेतीबारी से
जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?
उत्तर: बालगोबिन
भगत कबीर के पक्के भक्त थे। वे कभी झूठ नहीं बोलते थे और हमेशा खरा व्यवहार करते
थे। वे किसी की चीज का उपयोग बिना अनुमति माँगे नहीं करते थे। उनकी इन्हीं
विशेषताओं के कारण वे साधु कहलाते थे।
प्रश्न-2 : भगत की पुत्रवधू
उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?
उत्तर: भगत
की पुत्रवधू उनकी सेवा करना चाहती थी। वह नहीं चाहती थी कि एक बूढ़े आदमी को अकेले
रहना पड़े। इसलिए वह उन्हें अकेले छोड़ना नहीं चाहती थी।
प्रश्न-3 : भगत ने अपने
बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं?
उत्तर: अपने
बेटे की मृत्यु पर भगत ने गाना गाकर अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं। वह अपनी बहू से भी
बेटे की मौत का उत्सव मनाने को कहते थे। उनका मानना था कि मृत्यु से तो आत्मा का
परमात्मा में मिलन हो जाता है इसलिए इस अवसर पर खुशी मनानी चाहिए।
प्रश्न-4 : भगत के
व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: भगत
की उम्र साठ के ऊपर रही होगी। चेहरा सफेद बालों से जगमग करता था। वे केवल एक
लंगोटी पहने थे। जाड़े में एक कम्बल जरूर लपेटते थे। उनका व्यक्तित्व बड़ा ही सीधा
सादा था। वे हमेशा अपनी भक्ति और अपनी गृहस्थी में लीन रहते थे। वह तड़के ही उठ
जाते थे और स्नान करने के बाद गाना गाते थे।
प्रश्न-5 : बालगोबिन भगत की
दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?
उत्तर: चाहे
कोई भी मौसम हो, बालगोबिन भगत की दिनचर्या में कोई परिवर्तन
नहीं आता था। वे रोज सबेरे उठकर दो मील चलकर नदी में स्नान करने जाते थे। वहाँ से
लौटने के बाद पोखर के भिंड पर गाना गाते थे। उनकी नियमित दिनचर्या के कारण लोग
अचरज में पड़ जाते थे।
प्रश्न-6 : पाठ के आधार पर
बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: बालगोबिन
भगत के मधुर गायन में एक जादू सा असर होता था। उसके जादू से खेतों में काम कर रही
महिलाओं के होंठ अनायास ही थिरकने लगते थे। उनके गाने को सुनकर रोपनी करने वालों
की अंगुलियाँ स्वत: चलने लगती थीं। रात में भी लोग उनके गानों पर मंत्रमुग्ध हो
जाते थे।
प्रश्न-7 : कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर
यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे।
पाठ के आधर पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को
नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: बालगोबिन भगत कभी भी किसी अन्य
की चीज को बिना अनुमति के इस्तेमाल नहीं करते थे। वे किसी को भी खरा बोल देते थे।
अपने बेटे की मृत्यु पर उन्होंने शोक नहीं मनाया, बल्कि गा
गाकर खुशी मनाई थी। अपनी विधवा पुत्रवधू को उन्होंने दूसरी शादी करने की स्वतंत्रता
दे दी। इन सब प्रसंगों से पता चलता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं
को नहीं मानते थे।
प्रश्न-8 : धान की रोपाई के समय समूचे माहौल
को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह चमत्कृत कर देती थीं? उस माहौल का शब्द
चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: जब वे धान की रोपनी के समय गाते
थे इससे समूचा माहौल प्रभावित हो जाता था। मेड़ों पर खड़ी महिलाएँ स्वत: ही गाने
लगती थीं। हलवाहों के पैर भी थिरक कर चलने लगते थे। रोपनी करने वालों की उँगलियाँ
तालबद्ध तरीके से रोपनी में मशगूल हो जाती थीं।
प्रश्न-9 : पाठ के आधार पर बताएँ की बालगोबिन
भगत की कबीर पर श्रद्धा किन-किन रूपों में प्रकट हुई है?
उत्तर: बालगोबिन भगत के खेतों में जो
कुछ भी उपजता था उसे लेकर वे कबीर के दरबार में ले जाते थे। वहाँ से उन्हें प्रसाद
के रूप में जो कुछ मिलता उसी से गुजारा कर लेते थे। वे किसी की मौत को शोक का कारण
नहीं बल्कि उत्सव के रूप में लेते थे। इन सब प्रसंगों में उनकी कबीर पर श्रद्धा
प्रकट हुई है।
प्रश्न-10 : आपकी दृष्टि में भगत की कबीर पर
अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे?
उत्तर: वे कबीर के उपदेशों से अच्छी तरह
से प्रभावित हुए होंगे। इसलिए उनकी कबीर पर अगाध श्रद्धा रही होगी।
प्रश्न-11 : गाँव का सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश
आषाढ़ चढ़ते ही उल्लास से क्यों भर जाता है?
उत्तर: आषाढ़ के महीने में तेज बारिश
होती है जो खेती के लिए अच्छी बात होती है। इसी महीने में किसान धान की रोपनी करते
हैं। धान की रोपनी एक महत्वपूर्ण काम होता है। यह काम जितने लगन से किया जाए फसल
उतनी ही अच्छी होती है। इसलिए इस काम को गीत संगीत से भरे हुए माहौल में किया जाता
है।
प्रश्न-12 : “ऊपर की तसवीर से यह
नहीं माना जाए कि बालगोबिन भगत साधु थे।“ क्या ‘साधु’ की पहचान पहनावे के आधार पर
की जानी चाहिए? आप किन आधारों पर यह सुनिश्चित करेंगे कि
अमुक व्यक्ति ‘साधु’ है?
उत्तर: साधु की पहचान पहनावे के आधार पर
करना गलत होगा। केवल गेरुआ वस्त्र पहनने से कोई साधु नहीं बन जाता है। साधु बनने
के लिए आचार और विचारों में शुद्धता की आवश्यकता होती है।
प्रश्न-13 : मोह और प्रेम में अंतर होता है।
भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन का सच सिद्ध करेंगे?
उत्तर: भगत के बेटे की मृत्यु इस बात को
सिद्ध करती है कि मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत अपने बेटे से बहुत प्रेम
करते थे। वह अपने मंदबुद्धि बेटे का विशेष खयाल रखते थे। लेकिन उसकी मृत्यु पर वह
शोक नहीं मनाते हैं। वह अपनी पुत्रवधू से भी खुशी मनाने को कहते हैं।
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